जब तुम नहीं थे..




जब तुम नहीं थे



आपके तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है।

बस आँखों के साथ आपको याद किया ...

और फिर आपको लगता है जैसे आपका अस्तित्व घूम रहा है।

न देखो ... यहां तक ​​कि अगर आप इसके साथ नहीं हैं, तो आप अपने साथ खुश हैं।

 स्वयं की देखभाल करना, अपनी आँखें सड़क पर रखते हुए ...

फिर से आप तक पहुंचने का तरीका ढूंढ रहे हैं ....

फिर से दिखता है ...

कुछ समय पहले ..

यह आशा है ... ....  चातक पंछी जैसे  .... !!


फुलटर @ सोनाली कुलकर्णी

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